उदयपुर। महाराणा भूपाल सिंह ने अपने गौरवशाली वंश परंपरा का पालन करते हुए राजस्थान निर्माण के इतिहास में मेवाड़ के गौरव को और बढ़ाया है।
उक्त विचार मेवाड़ इतिहास परिषद के अध्यक्ष इतिहासकार प्रो.गिरीश नाथ माथुर ने मेवाड़ इतिहास परिषद द्वारा राजस्थान दिवस के उपलक्ष में आयोजित “राजस्थान निर्माण में मेवाड़ की भूमिका” विषयक ऑनलाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। डॉ. माथुर ने कहा कि उस समय की परिस्थिति में राजस्थान निर्माण में सरदार वल्लभ भाई पटेल को अपनी रीयासत सौंपकर मेवाड़ को राजस्थान में विलय करा महाराणा भूपाल सिंह ने दूरदर्शिता की मिसाल स्थापित की।
मुख्य अतिथि ग्लोबल हिस्ट्री फोर्म के अध्यक्ष इतिहासकार डॉ. जी.एल.मेनारिया ने मेवाड़ के राजस्थान में विलय पर महाराणा भूपाल सिंह की ख्याति राष्ट्र भर में होना बताया।
परिषद के महासचिव डॉ.मनोज भटनागर ने कहा कि मेवाड़ क्षेत्र के राजस्थान में विलय होने पर राजस्थान की पहचान भारत के अन्य राज्यों से अलग हो गई हैं क्योंकि मेवाड़ त्याग,तपस्या, बलिदान,प्रेम व शौर्य और स्वतंत्रता की तपोभूमि है।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राजनीतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय मंत्री गौरीशंकर भटनागर,राष्ट्रीय मंत्री महेंद्र माथुर, प्रदेश पदाधिकारी विष्णु भटनागर, डॉ.कैलाश जोशी, डॉ अजय मोची, सनी माथुर ,अनुराधा माथुर ने राजस्थान निर्माण के इतिहास पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी संयोजन शिरीष नाथ माथुर ने सरकार द्वारा राजस्थान के विस्तार एवं विकास के क्रम में हाल ही में 19 जिले एवं 3 संभाग के निर्माण को ऐतिहासिक व अनुकरणीय कार्य बताया ।