डॉ. तुक्तक भानावत
उदयपुर। एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई) भारत में अगले एक वर्ष में मरीन कम्पोस्टिंग तकनीक लेकर आ रहा है। इससे सीधे तौर पर समुद्र, नदियों और तालाबों को कचरे से मुक्ति मिलेगी। इसको लेकर संकल्प लिया गया है इस पर काम तेजी से किया जाएगा।
पिछले दिनों झीलों की नगरी उदयपुर में भारत में कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स की सबसे बड़ी संस्था एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई) द्वारा उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। होटल राम्या में आयोजित इस सम्मेलन में एसीपीआई सदस्यों द्वारा सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा स्टेण्डर्ड 17088 के तहत् कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स के निर्माण की प्रतिबद्धता की शपथद ली।
देश-विदेश के विशेषज्ञों एवं सदस्यों ने कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स को गुणवत्तापूर्ण और स्टेण्डर्ड को सुनिश्चित करने के लिये एसीपीआई की ओर से टीम के गठन करने का निर्णय लिया। यह टीम क्वालिटी और स्टेण्डर्ड की निगरानी करेगी एवं इसी अनुसार प्रोडक्ट्स हो यह तय करेगी। एसीपीआई द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में अगले एक वर्ष में मरीन कम्पोस्टिंग प्रोडक्ट्स की तकनीक लाने की योजना की जानकारी दी गयी जिससे समुद्र, झीलों, तालाबों या नालों में कचरे की समस्या से निजात मिलेगी।
इस योजना के बारे जानकारी देते हुए एसीपीआई के प्रेसिडेंट मयूर जैन ने बताया कि मरीन कम्पोस्टिंग प्रोडक्ट्स की तकनीक पर कार्य किया जा रहा है जो कि देश में पानी में कचरे की समस्या से निपटने में महत्वपूर्ण होगी। मरीन कम्पोस्ट पानी में ही घुल कर कचरे की समस्या को दूर करेगा जो कि आज एक बहुत बड़ी समस्या है। जैन ने सदस्यों को एसीपीआई एसोसिएशन की उपलब्धियों और आगामी योजनाओं के बारें में विस्तार से जानकारी दी।
एसीपीआई के प्रमुख सदस्य अशोक बोहरा ने बताया कि दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में क्वालिटी प्रोडक्ट्स को सुनिश्चित करने और कमेटी के गठन के साथ ही सीपीसीबी से मान्यता प्राप्त कम्पोस्टेबल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गयी। इसमें कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स की पहचान के लिये अलग कलर और कोडिंग का प्रावधान सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया। इससेे प्लास्टिक से निर्मित उत्पादों और कम्पोस्टेबल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स की अलग पहचान हो सकेगी जो कि उन्हें अलग-अलग करने में आसानी प्रदान करेगा।
अशोक बोहरा ने बताया कि सम्मेलन में कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स बनाने वाले उद्यमियों के समक्ष आ रही विभिन्न चुनौतियों जैसे सभी राज्यों द्वारा इस हेतु अलग-अलग नीतियों की व्याख्या, सिंगल यूज उत्पाद जो कि बाजार में उपयोग में लिये जा रहे हैं उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई पर भी चर्चा की गयी। वर्तमान में इस उद्योग से जुड़े व्यवसायियों द्वारा नये उद्यमियों को जोडऩे और प्रोत्साहित करने हेतु भी जानकारी दी गयी।
एसीपीआई द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि स्वच्छ भारत मिशन में राजस्थान के एंबेसेडर एवं डूंगरपुर नगरपालिका के पूर्व सभापति के.के. गुप्ता ने डूंगरपुर को पूर्णतया प्लास्टिक मुक्त बनाने की प्रक्रिया एवं स्वच्छ भारत मिशन के बारे में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि एसीपीआई के सहयोग से राजस्थान को प्लास्टिक मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण उपलकब्ध मिल सकेगी जिसके लिये हर संभव सहायता दी जाएगी।
सम्मेलन में अलग अलग प्रजेन्टेशन के माध्यम से कम्पोसटेबल प्रोडक्ट्स के टेस्टिंग प्रोटोकॉल्स, प्लास्टिक हर्डल्स एण्ड सोल्यूशन्स, कम्पोस्टेबल ओनली अण्डर इण्डस्ट्रियल कम्पोस्टिंग, कम्पोस्टिंग लेबलिंग, कम्पोस्टेबल कम्प्लाइंग आईएस- आईएसओ 17088 टेस्टेड बाय सीआईपीईटी एण्ड सर्टिफाइड बाय सीपीसीबी, कलर कोडिंग, विभिन्न नियमों एवं कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स की उपयोगिता और इससे पर्यावरण को होने वाले लाभ की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी गयी। साथ ही नये प्रोडक्ट्स जैसे श्रिंक फिल्म, स्टार्च फिल्म, पेपर कप में कम्पोस्टेबल प्लास्टिंग कोटिंग, फलों को पैक करने के लिये कम्पोस्टेबल प्लास्टिक लेयर बनाने के बारे में अवगत कराया गया।
एसीपीआई के प्रयासों और जागरूकता अभियानों के जरिए प्लास्टिक मुक्त भारत का सपना साकार किया जा सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों का व्यापक उपयोग न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को रोक सकता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को भी बढ़ावा दे सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों की ओर बढऩा समय की मांग है। एसीपीआई की पहल और यह सम्मेलन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। सरकार, उद्योग और जनता के सहयोग से ही स्वच्छ और हरित भविष्य संभव है।
इससे पहले सम्मेलन के पहले दिन एसीपीआई के प्रमुख सदस्य अशोक बोहरा ने बताया कि सम्मेलन में भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कराने के अनुरूप सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड नई दिल्ली द्वारा चिन्हित 12 ऐसी सामग्री जो कि सिंगल यूज प्लास्टिक से निर्मित है जिन्हें प्रतिबंधित किया गया है, उनके नुकसान की जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि इनमें प्लास्टिक के चम्मच, स्ट्रॉ, पलले केरी बैग, गारबेज बैग, डिस्पोज़ेबल सामग्री, इयरबड्स, पतले लेमिनेशन आदि शामिल हैं। इनका विकल्प कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स है जो कि बायोमटेरियल कार्न स्टार्च से निर्मित है। इन प्रोडक्ट्स की खासियत यह है कि 180 दिनों में यह पूरी तरह से कम्पोस्ड हो जाती है जिसका कोई प्रदूषण नहीं होता बल्कि यह खाद बन जाती है वहीं प्लास्टिक 300 वर्षों तक भी कम्पोस्ड नहीं होता। अशोक बोहरा ने बताया कि कम्पोस्टेबल बैग्स न केवल प्लास्टिक जितने मजबूत और कुशल हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। कम्पोस्टेबल बैग्स अब प्लास्टिक के समान किफायती हो गए हैं, जिससे ये बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए एक व्यवहारिक विकल्प बनते जा रहे हैं। इनकी गुणवत्ता प्लास्टिक के समान मजबूती और उपयोगिता है।
एसीपीआई के प्रेसीडेन्ट मयूर जैन ने कहा कि कम्पोस्टेबल उद्योग न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद कर सकता है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पाद प्लास्टिक का आदर्श विकल्प हैं और सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। इनके उपयोग को बढ़ावा देकर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटा जा सकता है और पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है।
सम्मेलन में बलरामपुर चीनी मिल्स के सीईओ, पूर्व सीईओ, टोटल कर्बियोन के स्टीफन बेरोट जो कि कम्पोस्टेबल एवं रिन्यूएबल्स के क्षेत्र में 15 वर्षो से अधिक का अनुभव रखते है, एवं स्वीस केमिकल इंजीनियर हैं उन्होंने प्रजेन्टेशन के माध्यम से कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स की उपयोगिता और इससे पर्यावरण को होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी। दूसरे प्रजेन्टेशन में सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक टेक्नोलॉजी अहमदाबाद के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी कीर्ति त्रिवेदी ने कम्पोसटेबल प्रोडक्ट्स के टेस्टिंग प्रोटोकॉल्स की जानकारी एवं वेण्डर द्वारा इस हेतु दी जाने वाली सूचना के बारे में अवगत कराया।
सम्मेलन में कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स बनाने वाले उद्यमियों के समक्ष आ रही विभिन्न चुनौतियों जैसे सभी राज्यों द्वारा इस हेतु अलग अलग नीतियों की व्याख्या, सिंगल यूज उत्पाद जो कि बाजार में उपयोग में लिये जा रहे है, उनके खिलाफ ठोस कार्यवाही नहीं होने पर भी चर्चा की गयी। वर्तमान में इस उद्योग से जुड़े व्यवसायियों द्वारा नये उद्यमियों को जोडऩे और प्रोत्साहित करने हेतु भी जानकारी दी गयी। इसमें वो व्यवासायी जो कि वर्तमान में प्लास्टिक उद्योग से जुड़े हुए हैं लेकिन उनके द्वारा बनाए जाने वाले उत्पाद बाजार में प्रतिबंधित है वे भी मशीनरी और प्लांट में मोडिफिकेशन के साथ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स से जुड़ सकते हैं।
एसोसिएशन ऑफ कम्पोस्टेबल प्रोडक्ट्स इन इंडिया (एसीपीआई) द्वारा नये उद्यमियों को जोडऩे के प्रोत्साहन के साथ एमएसएमई और स्टार्ट अप लेवल से कम पूंजी में इस उद्योग की शुरूआत हेतु सभी प्रकार की तकनीकी जानकारी और सहयोग का आव्हान किया गया।
एसीपीआई के प्रयासों और जागरूकता अभियानों के जरिए प्लास्टिक मुक्त भारत का सपना साकार किया जा सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों का व्यापक उपयोग न केवल प्लास्टिक प्रदूषण को रोक सकता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को भी बढ़ावा दे सकता है। कम्पोस्टेबल उत्पादों की ओर बढऩा समय की मांग है। एसीपीआई की पहल और यह सम्मेलन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। सरकार, उद्योग और जनता के सहयोग से ही स्वच्छ और हरित भविष्य संभव है।