उदयपुर। वन विभाग की ओर से आयोजित 68वें वन्यजीव सप्ताह के तहत् शुक्रवार को केवडा की नाल, उदयपुर में विकसित किये जा रहे बोटेनिकल गार्डन में आयुर्वेद कॉलेज व विज्ञान कॉलेज के विद्यार्थियों को वन एवं वन्यजीव संरक्षण जागरुकता हेतु भ्रमण करवाया गया।
पूर्व सांसद रघुवीर मीणा ने इस बोटेनिकल गार्डन के महत्व के साथ इससे उत्पन्न होने वाले रोजगार व जीविकोपार्जन के अवसरों के बारे में ग्रामीणों को जागरुक किया। उन्होंने बताया कि यहां के स्थानीय निवासी यहां पाये जाने वाले औषधीय पौधों से बीमारियों का इलाज करते है। एलोपेथिक दवाएं बीमारियों को ठीक करती है परन्तु उनके साइड इफेक्ट्स भी होते है जबकि औषधीय पौधों से बनी आयुर्वेदिक दवाएं बीमारियों को ठीक करने के साथ शरीर में किसी प्रकार का साईड इफेक्ट् उत्पन्न नहीं करती है। यहां स्थानीय निवासियों में कई गुणी है जो औषधीय पौधों से बीमारियों का इलाज करते है।
जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने बताया कि विकसित किये जा रहे बोटेनिकल गार्डन का संबंध जैव विविधता से है जो यहां भरपूर है। आयुर्वेद व विज्ञान महाविद्यालय के छात्रों के अध्ययन के लिए प्रमुख स्त्रोत है। इसके अतिरिक्त इससे विद्यार्थियों व ग्रामीणों में वन एवं वन्य जीवों के प्रति संरक्षण की भावना जागृत होगी। उन्होंने शहर के नजदीक विकसित किये जा रहे पर्यटक स्थल को ऑक्सीजन के स्रोत की संज्ञा दी तथा सुझाव दिये कि वन विभाग को पर्यटन विभाग, होटल व्यवसायियों, स्थानीय निवासियों, गाईडों को बुलाकर एक कार्यशाला आयोजित कर इस क्षेत्र में घुमाकर उभर रहे पर्यटक स्थल की जानकारी देनी चाहिये।
संभागीय मुख्य वन संरक्षक आर.के.सिंह ने यहां जैव विविधता रिकॉर्ड के संधारण की आवश्यकता बताई ताकि इसे प्रकशित कर लोगों को वन एवं वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरुक किया जा सकें। संभागीय वन संरक्षक आर.के.जैन ने केवड़ा की नाल में पायी जाने वाली जैव विविधता की विस्तार से जानकारी दी तथा इस स्थल को आयुर्वेद व विज्ञान के विद्यार्थियों से जुडा होने वाला बताया। उन्होंने इस गार्डन को अत्यधिक आकर्षक व उपयोगी बनाने हेतु ग्रामीणों से आवश्यक सहयोग का आह्वान किया। पक्षीविद् सुनील दुबे ने केवड़ा की नाल में मगरा स्नान प्रथा के कारण होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में ग्रामीणों को जानकारी दी तथा इस कुप्रथा को रोकने का आह्वान किया।
डॉ सतीश शर्मा ने वि़द्यार्थियों को बोटेनिकल गार्डन में लगाये गये लगभग 58 दुर्लभ प्रजातियों के पौधों, केवड़ा की नाल में पूर्व से स्थापित लगभग 200 प्रजातियों के पेड़ों की जानकारी दी व विद्यार्थियों को ईकोट्रैल्स पर घुमाकर वन एवं वन्यजीवों की जानकारी देते हुए प्रकृति के नजदीक रहने का अहसास कराया। केवड़ा की नाल में बांसवाड़ा मार्ग पर सड़क के दोनों ओर घना जंगल है तथा विश्व का जैव विविधता हेतु एक हॉट स्पॉट है। माननीय मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत यहां गार्डन विकसित किया जा रहा है। इसके विकसित होने से जयसमंद जाने वाले पर्यटकों के लिए यह एक अतिरिक्त पर्यटक स्थल के रुप में उभर कर आयेगा। इससे ग्रामीणों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
उप वन संरक्षक मुकेश सैनी ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया तथा उन्होंने विकसित किये जा रहे बोटनिकल गार्डन की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत की। उन्होंने ग्रामवासियों को केवड़ा की नाल में जैव विविधता संरक्षण हेतु धन्यवाद दिया तथा इसका ओर अधिक संवर्द्धन करने का आह्वान किया।
विद्यार्थियों ने केवड़ा की नाल के घने जंगल में प्राकृतिक ट्रेल्स पर घुमकर प्रकृति के सौन्दर्य का आनंद लेने के साथ-साथ पेड़ पौधों की जानकारी प्राप्त की तथा इस घने जंगल को देखकर अत्यधिक प्रभावित हुए। विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत किया।
उप वन संरक्षक सुशील सैनी ने आभार जताया व संचालन उप वन संरक्षक कन्हैयालाल शर्मा ने किया। इस अवसर पर उप वन संरक्षक सुपांग शशि, पर्यावरणविद् डॉ. सतीश शर्मा, देवेन्द्र श्रीमाली, केवडा सरपंच श्रीमती दमली, वन सुरक्षा एवं प्रबंध समिति केवड़ा के अध्यक्ष शंकरलाल, आयुर्वेद कॉलेज प्राचार्य महेश दीक्षित, विज्ञान कॉलेज प्राचार्य विनीत सोनी, ग्रीन पीपल सोसायटी के सदस्य हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के प्रतिनिधि, मीडियाकर्मी, ग्रामीण उपस्थित रहे।