उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के तत्वावधान में शिल्पग्राम में आयोजित हो रहे दस दिवसीय मेले के तहत संगम सभागार में वागड़ अंचल में जनजातिजनों के आस्थाधाम बेणेश्वर के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में रचित चित्रों की प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।
राज्यपाल ने किया था प्रदर्शनी का शुभारंभ:
करीब 300 साल पुराने इन चित्रों की प्रतिकृतियों की इस प्रदर्शनी का शुभारंभ गत दिनों राज्यपाल श्री कलराज मिश्र के हाथों किया गया था। राज्यपाल ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया था और इसके सौंदर्य, वर्ण्यविषय, रंगों और कला को अद्भुत बताया तथा केन्द्र द्वारा इनके संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की थी। स्वयं धाम के महंत अच्युतानंद महाराज और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने राज्यपाल को चित्रों की विषयवस्तु के बारे में बताया था।
दो चौपड़ों के करीब 100 चित्रों की प्रदर्शनी:
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि संगम सभागार में संत मावजी के दो चौपड़ों के करीब 100 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। इस प्रदर्शनी में डंूगरपुर जिले के साबला और उदयपुर जिले के शेषपुर में संग्रहित संत मावजी के चोपड़ों के चित्रों के फोटोग्राफ्स को मेलार्थियों के अवलोकन के लिए सजाया गया है। उन्होंने बताया कि सभागार में आकर्षक ढंग से सजाएं गए इन चित्रों को देखने और इनके बारे में जानकारी लेने के लिए यहां आने वाले मेलार्थी व चित्रकार पहुंच रहे हैं। गुप्ता ने बताया कि बेणेश्वर धाम से जुड़ी कलाकृतियों के डिजिटलाइजेशन कार्य के बाद अब देश के ख्यात चित्रकारों के माध्यम से इनकी (रेप्लिका) प्रतिकृतियां तैयार करवाई जाएगी।
रंग ला रही पहल:
लाखों जनजाति जनों की आस्थाओं के केन्द्र बेणेश्वर धाम से जुड़ी पुरानी कलाकृतियों को संरक्षित करने की दृष्टि से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर द्वारा की गई पहल रंग ला रही है। केंद्र की पहल पर संत मावजी के चौपड़ों के डिजिटलाइजेशन के कार्य के तहत प्रतिकृतियों को प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया है। चौपड़ों के डिजिटलाइजेशन कार्य के समन्वयक व उदयपुर के सूचना एवं जनसंपर्क उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने बताया कि केन्द्र की पहल के कारण पहली बार आमजन संत मावजी रचित चित्रों को आसानी से देख पा रहे हैं और इनके वैशिष्ट्य से रूबरू हो पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा गत दिनों हरि मंदिर साबला व शेषपुर मंदिर स्थित चोपड़े की फोटोग्राफी करवाई गई थी। केन्द्र द्वारा मूल चौपड़े के साथ ही करीब दस फीट कपड़े पर चित्रित कलाकृति की भी फोटोग्राफी करवाई गई। इन फोटॉग्राफ्स से प्रदर्शनी के लिए सॉफ्ट व हार्ड कॉपी तैयार की गई थी। इसके साथ ही एक डिजिटल बुक भी तैयार कर ऑनलाइन उपलब्ध कराने की योजना है।
डिजिटलाइजेशन के बाद बनेगा संग्रहालय:
धाम के महंत अच्युतानंद महाराज ने बताया कि संत मावजी रचित चित्रों की प्रदर्शनी लगाने का प्रयास वाकई अनूठा है। उन्होंने कहा कि बेणेश्वर धाम की प्राचीनता, संत मावजी और इनके परवर्ती संतों, मावजी रचित चारों चौपड़ों, इनमें उकेरे गए भविष्य दर्शाते चित्रों, धाम की धार्मिक महत्ता और इससे संबंधित परंपराओं, बेणेश्वर धाम मेला और इसके वैशिष्ट्य को देखते हुए बेणेश्वर केंद्रित संग्रहालय बनाने की भी योजना है। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र चौपड़ों का डिजिटलाइजेशन कर रहा है, यह सराहनीय कार्य है। इससे संत मावजी और बेणेश्वरधाम की महत्ता और गौरव दिक दिगंत तक प्रसारित होगा।