उदयपुर। क्या हम अगली पीढी को ऐसा समाज और व्यवस्था सौंपना चाहते हैं जहां बिना लिए-दिए कुछ काम नहीं होता हो और भ्रष्टाचार को समाज का अंग समझा जाता हो? क्या रिश्वत देना नैतिक रुप से उचित है? वीरों की इस धरा मेवाड को भ्रष्टाचार से पूर्ण मुक्त करने हेतु नकद अथवा अन्य किसी रुप में रिश्वत को सहन नहीं करें।
यह बात राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ACB महानिदेशक बी.एल. सोनी ने मंगलवार को लेकसिटी के यूसीसीआई सभागार में कही। भ्रष्टाचार के खिलाफ आमजन को जागरुक करने एवं भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों की शिकायत दर्ज करवाते हुए भ्रष्टाचार को रोकने की सोच से उदयपुर चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा प्रातः 11 बजे यूसीसीआई के पी.पी. सिंघल आॅडिटोरियम में भ्रष्टाचार निरोधक कानून विशय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
सेमिनार के आरम्भ में यूसीसीआई के अध्यक्ष कोमल कोठारी ने एसीबी के महानिदेशक बी.एल. सोनी, पुलिस अधीक्षक आलोक श्रीवास्तव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश ओझा तथा प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अच्छा कार्य कर रहा है। यदि विभाग को कुछ और अधिकार एवं षक्तियां दी जायें तो भ्रश्टाचार पर अंकुष लगाने में मदद मिलेगी।
BL SONI ने भ्रष्टाचार की शिकायत करने एवं विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया विस्तार से समझाई। उन्होंने बताया कि एसीबी शि्कायतकर्ता के साथ खडा है तथा उसके कार्य में किसी प्रकार की रुकावट नहीं आने देगा। बी.एल. सोनी ने बताया कि ट्रेप में रिश्वत की राशि 1 लाख से कम है तो यह राशि परिवादी को 15 दिनों में सरकारी फण्ड से वापस दिला देते हैं। पहले यह राशि परिवादी को केस के दौरान या केस खत्म होने तक कोर्ट के आदेश पर मिलती थी। मंख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए एसीबी को फण्ड दिया है। कोर्ट में जो पुराने मामले चल रहे हैं उन परिवादियों को भी ट्रैप की राषि इस फण्ड से वापस दिलाने हेतु एसीबी प्रयास कर रही है।
बी.एल. सोनी ने अपने सम्बोधन में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उद्यमियों और व्यवसायियों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि यदि सरकारी कार्यालय के अधिकारी या कर्मचारी किसी कार्य को करने के लिये रिश्वत मांगते है तो भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शि्कायत दर्ज करवायें। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि ब्यूरो उन्हें इस समस्या से निजात दिलायेगा और भ्रश्ट अधिकारी या कर्मचारी पर सख्त कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि सरकार की मंषा भ्रश्टाचार रोकने की है। देष के आर्थिक संसाधन देष की प्रगति एवं विकास के काम में लगने चाहियें न कि भ्रश्ट लेन-देन द्वारा काले धन के निर्माण में। ऐसे में किसी भी मामले को लेकर आम आदमी कभी भी ब्यूरो कार्यालय से सम्पर्क कर सकता है।
सोनी ने जानकारी दी कि ट्रेप करने की कार्यवाही एसीबी अपने तरीके से करती है। आय से अधिक संपति और पद के दुरुपयोग जैसे मामलों में भी एसीबी पूरी तरह से कार्यवाही करती है। उन्होंने आग्रह किया कि ऐसे मामलों को ब्यूरो तक पहुंचायें और अपनी मेहनत की कमाई भ्रश्ट लोगों को नहीं देवें। उन्होंने बताया कि ब्यूरो आईएएस, आईपीएस, एवं आरएएस अधिकारियों पर भी कार्यवाही कर चुकी है। उन्होंने जानकारी दी कि गत वर्श एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को आय से अधिक संपत्ति के मामले में पकडा गया था और उसे सेवाओं से बर्खास्त किया गया था।
सोनी ने आव्हान किया कि आवष्यकता इस बात की है कि षिकायतकर्ता मजबूती के साथ खडा रहे। पुख्ता सबूत होने पर भ्रश्ट अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही एवं उसे सजा दिलाना ब्यूरो की जिम्मेदारी है। उच्चतम न्यायालय भी इस मामले में गम्भीर है और आने वाले समय में कानूनों में और स्पश्टता आयेगी।
इस अवसर पर आलोक श्रीवास्तव एवं उमेश ओझा ने भी प्रतिभागियों को सम्बोधित किया। खुली परिचर्चा के दौरान बी.एल. सोनी ने कार्यक्रम में उपस्थित उद्यमियों से चर्चा की एवं भ्रश्टाचार की रोकथाम हेतु उनके सुझाव आमंत्रित किये। पूर्वाध्यक्ष महेन्द्र टाया ने सुझाव दिया कि यदि उद्यमी द्वारा किसी सरकारी विभाग के अधिकारी के विरुद्ध एसीबी में शिकायत कर दी तो वह उद्यमी उक्त विभाग में ब्लैक लिस्टेड हो जायेगा तथा उसका काम अटक जायेगा। सोनी ने अवगत कराया कि एसीबी भ्रश्ट अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही करने के साथ ही यह भी सुनिष्चित करती है कि उस विभाग के अन्य अधिकारी षिकायतकर्ता का काम अटकाएं नहीं। जी.एस. सिसोदिया ने भ्रष्टाचार की रोकथाम हेतु एसीबी अधिकारियों एवं यूसीसीआई सदस्यों की एक कमेटी गठित किये जाने का सुझाव दिया जिस पर बी.एल. सोनी द्वारा सहमति व्यक्त की गई और इस कमेटी में एसीबी की ओर से पुलिस अधीक्षक एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सदस्य रहेंगे तथा यूसीसीआई के तीन सदस्य रहेंगे। इस कमेटी की बैठक प्रतिमाह होगी। भ्रश्टाचार के जो भी मामले इस कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किये जायेंगे उनकी स्क्रूटनी कर आगे कार्यवाही की जायेगी।
पूर्वाध्यक्ष वीरेन्द्र सिरोया ने सुझाव दिया कि आय से अधिक सम्पति एकत्रित करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध रिटायमेन्ट के बाद भी कार्यवाही होनी चाहिए। सोनी ने बताया कि वर्तमान में रिटायरमेन्ट के तीन वर्ष तक एसीबी को जांच करके कार्यवाही का अधिकार है। व्यापार संघों को तीन वर्श की अवधि को बढाने हेतु कानून में बदलाव की मांग सम्बन्धित मंत्रालय को भेजनी होगी।
ट्रांसपोर्ट एसोसिएषन के अध्यक्ष ने हाइवे पर चेकिंग के बहाने ट्रक चालकों सहित अन्य वाहन चालकों से सरकारी कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली करने के खिलाफ एसीबी द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करने का सुझाव दिया। मार्बल प्रोसेसर्स समिति के कपिल सुराणा ने रिश्वत मांगने वाले अधिकारी को फोन के माध्यम से पाबन्द करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम का संचालन chief operating officer कौस्तुभ भट्टाचार्य ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न औद्योगिक एवं व्यावसायिक संगठनों जैसे चेम्बर आॅफ काॅमर्स उदयपुर डिवीजन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएषन, उदयपुर मार्बल एसोसिषन, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स समिति, उदयपुर होटल एसोसिएषन आदि के पदाधिकारियों, यूसीसीआई सदस्यों तथा उद्यमियों व व्यवसायियों सहित 100 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में उपाध्यक्ष विजय गोधा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।