जयपुर। नगरीय विकास एवं स्वायत शासन, राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने सोमवार को राज्य विधान सभा में बताया कि उदयपुर ग्रामीण में जेबीएच चिकित्सालय एवं महाविद्यालय के भवन निर्माण में अनियमितता की शिकायत की मुख्य सचिव की निगरानी में उच्च स्तरीय समिति गठित कर जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि बिना स्वीकृति के जितने भी निर्माण हुए हैं, उन्हें संबंधित नगरीय निकाय 72 घंटे के अंदर सीज करेगा।
खर्रा शून्यकाल के दौरान उदयपुर (ग्रामीण) विधायक श्री फूल सिंह मीना द्वारा ध्यान आकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से इस संबंध में उठाए गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि उदयपुर जिला कलक्टर की ओर से 18 जुलाई, 1998 को मैसर्स अमेरिकन इन्टरनेशनल हेल्थ मैनेजमेन्ट लिमिटेड पंजीकृत कम्पनी को हॉस्पिटल तथा डायग्नोस्टिक एवं हेल्थ सेन्टर की स्थापना के लिए 99 वर्ष की अवधि के लिए भूमि आवंटित की गई थी।
श्री खर्रा ने बताया कि इस भूखण्ड पर भवन निर्माण की स्वीकृति न्यास की ओर से 4 जुलाई 2014 को जारी की गई थी, जिसके तहत जेबीएच हॉस्पिटल में स्वीकृत मानचित्र अनुसार निर्माण स्वीकृति जारी की गई थी।
उन्होंने बताया कि इस निर्माण के सम्बन्ध में वर्तमान में निर्मित भवन की जांच की गई, जिसमें मौके पर स्वीकृति के अतिरिक्त नर्सिंग हॉस्टल में भूतल एवं आठ तल तथा प्रोफेसर भवन में भूतल एवं नौ तल का स्वीकृति के विरूद्ध अवैध निर्माण पाया गया है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान स्टेट मिनरल एंड माइन्स लिमिटेड एवं महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय के साथ धोखाधड़ी व जालसाजी की शिकायतें प्राप्त हुई है जो प्रारंभिक जांच में सत्य प्रतीत होती है।
राज्य मंत्री खर्रा ने कहा कि यह प्रकरण नगरीय विकास विभाग के साथ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा खनिज विभाग से जुड़ा हुआ है। राज्य के मुख्य सचिव की निगरानी में उच्च स्तरीय समिति का गठन कर इस प्रकरण की जांच करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि बिना स्वीकृति के हुए निर्माण को संबंधित नगरीय निकाय 72 घंटे के अंदर सीज कर विधानसभा सचिवालय और विभाग को सूचित करेगा।