उदयपुर। चेस्ट विशेषज्ञों के 24वें राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नेपकोन-2022 के अंतिम दिन के विभिन्न सत्रों का आयोजन गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और आर. एन. टी. मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। उदयपुर में चेस्ट और श्वास से जुड़े मेडिकल विशेषज्ञों की अब तक की सबसे बड़ी कॉन्फ्रेंस का आयोजन 11 नवंबर से 13 नवम्बर तक गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में आयोजित कर इतिहास रचा गया है, जो उदयपुर के लिए गर्व का विषय है। इस बार नेपकोन की थीम “इनकरेज प्रिसिशन मेडिसिन” रखी गयी थी, जिसका अर्थ है सही जांच करके सही दवा प्रदान करना। इस प्रकार का सम्मेलन प्रति वर्ष नेशनल कॉलेज ऑफ़ चेस्ट फिजिशियन (एनसीसीपी) और इंडियन चेस्ट सोसाइटी (आईसीएस) के तत्वावधान में होता है। कॉन्फ्रेंस में गीतांजली मेड़िकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में देश विदेश से आये जाने माने ख्यातिप्राप्त चेस्ट विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रोफेसरों ने भाग लेकर व्याख्यान देते हुए कॉन्फ्रेंस में भाग ले रहे अन्य डॉक्टरों के सवालों का जवाब भी दिया। वहीं नेपकोन कॉन्फ्रेंस-2022 में देश विदेश से आये 2500 से ज्यादा डॉक्टर्स ने भाग लेकर इतिहास रच दिया। कॉन्फ्रेंस में देश विदेश से आये डॉक्टरों द्वारा पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों के ज्ञान वर्धन के साथ शोध को बढ़ावा देने के लिए गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 950 शोध पत्र पढ़े गए, जिसमें अंतिम दिन पढ़े जाने वाले शोधों की संख्या 195 रही।
देश के ख्यातनाम और विदेशों के विशेषज्ञ डॉक्टर्स और प्रोफेसर्स ने भाग लेकर नेपकोन-2022 को बनाया भव्य आयोजन
आम तौर पर इस तरह की इतनी बड़ी कॉन्फ्रेंस बड़े शहरों में आयोजित की जाती है,जिसमें 2500 से अधिक देश-विदेश से आये डॉक्टर्स और 400 से ज्यादा फैकल्टी मेंबर ने विभिन्न फेफड़े और श्वास सम्बंधित बीमारियां (एलर्जी, टीबी,आई. एल.डी., स्लीप डिसआर्डर ),एडवांस तकनीक, प्रोसिजर्स, गाइडलाइंस संबंधित व्याख्यान दिया। इस कॉन्फ्रेंस में 60 से ज्यादा विदेशों से जुड़ी मेडिकल फैकल्टीज ने भाग लिया, जिसमें 25 फैकल्टी मेंबर्स ने व्यक्तिगत रूप से भाग लिया और 35 विशेषज्ञों ने ऑनलाइन माध्यम से फेफड़े और श्वाश सम्बंधित बीमारियों के सम्बन्ध में उपलब्ध नवीनतम जाँच तकनीकों के साथ इसके निदान, उपचार,दवाइयों और सर्ज़री जैसी तकनीकों पर विस्तृत चर्चा की।
टी.बी. बीमारी के नवीनतम उपचार,जाँच और निदान पर हुआ मंथन
24 वे राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नेपकोन-2022 के अंतिम दिन जटिल टीबी (एमडीआर टीबी) पर पैनल डिस्कशन में डॉ.अजय वर्मा,डॉ. ऋषि शर्मा ,डॉ. संतोष कुमार,डॉ. सविता जिंदल, डॉ. शैलेंद्र भटनागर, डॉ शशि भूषण ने भाग लिया। इस पैनल की अध्यक्षता जयपुर से आये डॉ. एन. के.जैन की। इसके साथ ही डॉ. एन. के.जैन को टीबी और चेस्ट क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर इंडियन चेस्ट सोसायटी (आई.सी.एस.) द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
जाँच के अभाव में विश्व के 43 प्रतिशत अस्थमा मरीज भारत में हो रहे मौतों का शिकार-डॉ. वीरेंद्र सिंह
डॉ. वीरेंद्र सिंह (प्रेसिडेंट राजस्थान हॉस्पिटल और डायरेक्टर अस्थमा भवन,जयपुर) ने कॉन्फेंस के आयोजन को लेकर बताया कि कोरोना काल के बाद होने वाली इस कॉन्फ्रेंस को लेकर भाग लेने वाले प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह देखा गया है। हमारे दो प्रोजेक्ट ग्लोबल अस्थमा नेटवर्क स्टडी जो यूरोप के प्रसिद्ध ई.आर.जे. जर्नल में प्रकाशित हुई है, जिसमें बताया गया है कि जहां समाज में 4 अस्थमा के मरीज हैं वहीं इनमें केवल एक व्यक्ति ही जाँच के माध्यम से पता कर पाता है कि उसे अस्थमा है। बाकी 3 मरीज जांच के अभाव में ये पता ही नहीं लगा पाते हैं कि वे अस्थमा से पीड़ित हैं। इसके साथ ही ये बड़ा सच है कि आज भी केवल जाँच के अभाव के कारण केवल 10 प्रतिशत ही लोग अस्थमा की दवाइयों का सेवन कर रहे है। इसी कारण विश्व के अस्थमा के मरीजों में 43 प्रतिशत मौतें भारत में हो रही है। इसलिए भारत में अस्थमा के जाँचो की संख्या को बढ़ाकर ही इस पर काबू पाया जा सकता है।
कोविड-19 के बाद टेलीमेडिसिन सिस्टम ने खोले है घर बैठे मरीजो के उपचार की संभावनाओं के द्वार
कोरोना महामारी के बाद टेली मेडिसन सेवा ने मरीजों के उपचार के लिए संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। इस पर गीतांजली मेडिकल कॉलेज के डॉ. शुभकरण शर्मा ने अध्यक्षता करते हुए टेलीमेडिसिन से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हुए मुंबई से आए प्रसिद्ध डॉ. ज़रीर उड़वाडीया, डॉ.धनशेखर टी, डॉ. सौम्या दास और डॉ. विरल नंदा ने भाग लिया। इसके साथ ही टेलीमेडिसिन के स्कोप,भविष्य,लीगल चैलेंज, कोविड-19 काल में इसके प्रदर्शन, अस्थमा और सी.ओ.पी.ड़ी. जैसी बीमारियों में टेलीमेडिसिन की महत्ता पर डॉ. पी. आर. गुप्ता,डॉ. प्रशांत प्रकाश,डॉ. रितिशा भट्ट, डॉ. प्रीति शर्मा और डॉ. जय किशन ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।
बच्चों के श्वास रोगों को न करे नजरंदाज
पीडियाट्रिक पल्मनोलॉजी पर आयोजित विशेष सिंपोजियम में छोटे बच्चों से जुड़े श्वाश सम्बन्धित रोग, बच्चों में प्रदूषण जनित श्वाश रोग और उसके निदान के साथ बच्चों के फेफड़ो में संक्रमण पर विस्तृत चर्चा में डॉ. निशा भट्ट (नेपाल) ,डॉ. संगीता शर्मा, डॉ. दीपक मुथरेजा ने भाग लेते हुए बताया कि ज्यादातर अभिभावक छोटे बच्चों के श्वास संबंधित रोगों को गंभीरता से नहीं लेते, जिससे उनके बड़े होने पर रोग की जटिलता और बढ़ जाती है। यदि समय रहते उपचार किया जाय तो बच्चों को श्वास और फेफड़ो की गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। उदयपुर समेत देश भर के कई माइनिंग क्षेत्रों में बढ़ती सिलिकोसिस बीमारी के नवीनतम उपचार और जाँच की तकनीक पर गहन चर्चा करते हुए डॉ. यू.सी. ओझा, डॉ भारत भूषण शर्मा, डॉ. के.सी.अग्रवाल, डॉ. पी.डी. मोटियानी और डॉ रमाकांत दीक्षित ने अपने महत्वपूर्ण विचार रख कॉफ्रेंस को लाभान्वित किया।
जटिल श्वशन रोगों में दवाइयों के साथ वैक्सीनेशन का महत्वपूर्ण योगदान-डॉ अतुल लुहाड़िया
श्वशन और फेफड़ो के जटिल रोगों में दवाइयों के साथ वैक्सीनेशन का महत्वपूर्ण रोल होता है। इस पर नेपकॉन-2022 के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ अतुल लुहाड़िया ने विस्तृत जानकारी देते बताया कि क्रोनिक लंग डीजीज होने पर दवाइयों के रोल के साथ वैक्सीनेशन का बड़ा महत्व है और इससे मरीजों को श्वसन रोगों में बड़ा लाभ मिलता है। सम्मेलन में आई.एल.ड़ी रोगों ( फेफड़ों के सिकुड़ने की बीमारी) में दवाइयों के अतिरिक्त पलमोनरी रिहैबिलिटेशन की महत्ता पर डॉ. गौरव छाबड़ा ने विशेष रूप से चर्चा करते हुए कॉन्फ्रेंस को लाभान्वित किया।
विभिन्न सत्रों के बाद समापन समारोह के आयोजन में नेपकोन- 2022 की आयोजन समिति ने कॉन्फ्रेंस में भाग लेकर आयोजन को सफल बनाने वाले सभी महानुभावों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. एस. के. लुहाडिया,ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. महेंद्र कुमार, डॉक्टर जेके छापरवाल और डॉ.अतुल लुहाड़िया ने इस भव्य आयोजन की सफलता का श्रेय पूरी गीतांजली मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की टीम को दिया।