कृषि और प्रौद्योगिकी से समाज में व्यापक परिवर्तन संभवः राज्यपाल मिश्र

उदयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र तीन दिन की यात्रा पर सोमवार को उदयपुर पहुंचे। यहां राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के 15 वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। माननीय राज्यपाल महोदय ने विवेकानंद सभागार में अपने करकमलों से योग्य छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये। समारोह के प्रारम्भ में राज्यपाल ने उपस्थित विद्यार्थियों, अतिथियों एवं अभिभावकों को संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्तव्यों का सामूहिक वाचन करवाया।
दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के मंत्री लालचंद कटारिया थे। डॉ. ए.पी.जे.ए. कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व कुलपति डॉ दुर्ग सिंह चौहान, ने दीक्षांत उद्बोधन दिया। मिश्र ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को मातृभूमि के लिए संघर्ष करने वाले प्रथम स्वाधीनता सेनानी की संज्ञा देते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के लिए नए जीवन में प्रवेश का पर्व है जिससे वे अपने अर्जित ज्ञान का समाज और राष्ट्र के हित में उपयोग के लिए तैयार होते हैं। इस अवसर पर उन्होंने सभी पदक विजेताओं और उपाधि प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयी शिक्षा का ध्येय यही होना चाहिए कि अज्ञानता के हर स्तर को समाप्त करे। जो शिक्षा अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए, उसी की सार्थकता है। उन्होंने कहा कि मैं यह मानता हूं कि कृषि एवं प्रौद्योगिकी के जरिए बहुत बड़े स्तर पर समाज में परिवर्तन किया जा सकता है और महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय यह कार्य बखूबी कर रहा है। इस विश्वविद्यालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की रैंकिंग में प्रदेश में प्रथम और देश में 15वां स्थान प्राप्त किया है और साथ ही पांच वर्षों हेतु प्रमाणन प्राप्त कर श्रेष्ठता के स्तर को बनाए रखा है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पूरे परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि समय संदर्भों के साथ कृषि-तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञ पाठ्यक्रमों एवं समन्वित शोध की शुरूआत हो, जिनसे युवा वर्ग कृषि क्षेत्र की वैश्विक और पर्यावरण संरक्षण की चुनौतियों का सामना कर सके।
राजस्थान सरकार के कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या, घटती हुई जोत और बदलती जलवायु के मद्देनजर कृषि को जीविकोपार्जन से कहीं आगे ले जाकर आकर्षक व्यवसाय में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन से वर्षा में अनिश्चितता तथा तापमान में वृद्धि जैसे कारक हमारी कृषि को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में कृषि विश्वविद्यालयों से अपेक्षा है कि ऐसी कृषि विधियों पर शोध करें, जो जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में हमारे कृषि उत्पादन को टिकाऊ बनाए रख सके। कृषि मंत्री श्री कटारिया ने कहा कि राज्य के किसानों को आसान तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए राजकिसान साथी पोर्टल शुरू किया गया है। इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कृषि विभाग द्वारा राज्य के किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पडे़गी। इससे किसानों का समय और श्रम बचेगा तथा विभाग के कामकाज में भी पारदर्शिता आएगी। इस पोर्टल पर किसान कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए आवेदन कर सकता है।
ऑनलाइन कक्षाओं से पाठ्क्रमों को पूर्ण करवायाः कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़
कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़ ने विश्वविद्यालय प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने विश्वविद्यालय ने कोरोना काल में तकनीक के कुशल उपयोग से प्रति सेमेस्टर 11-12 हजार ऑनलाइन कक्षाओं के आयोजन से पाठ्यक्रम को पूर्ण करवाया। इससे राजकोष पर बिना किसी अतिरिक्त भार के विश्वविद्यालय ने स्वयं का ऑनलाइन परीक्षा तंत्र विकसित किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में तकनीक आधारित मिश्रित शिक्षण व्यवस्था पर अधिक जोर दिया गया जो की नयी शिक्षा नीति की सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा। लॉकडाउन के समय विद्यार्थियों तक विषय वस्तु पहुचाने हेतु विश्वविद्यालय द्वारा 400 से अधिक ई-मैन्युअल व ई-कम्पेंडियम के सृजन का महत्वपूर्ण कार्य भी किया है।
उन्होंने बताया कि इस अकादमिक सत्र से ही डिग्री प्रमाण पत्र की गुणवत्ता में भी अनेक सुधार किये गए हैं, यह उच्च कोटि के आसानी से न फटने वाले, वाटर प्रूफ और ए-4 साइज के कागज पर तैयार की जाऐगी। डिग्री में अनेक सिक्युरिटी फीचर्स भी अपनाए गये हैं। हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषा में छपी डिग्री पर विद्यार्थी का रंगीन फोटो, क्यूआर कोड इत्यादि अनेक सुरक्षा उपाय भी किये गये हैं।
दीक्षांत समारोह में 938 उपाधियां प्रदान की गई, जिनमें कृषि, इंजीनियरिंग, सामुदायिक विज्ञान, खाद्य एवं आहारिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी व मात्स्यिकी संकाय में 706 स्नातक, 150 स्नातकोत्तर व 82 विद्या-वाचस्पति की उपाधियाँ प्रदान की गयी। इस समारोह में स्नातक स्तर पर सभी संकायों में कुल 13 स्वर्ण पदक, स्नातकोत्तर स्तर पर 16 व पी.एच.डी. स्तर पर 5 एवं जैन इरिगेशन द्वारा इंजीनियरिंग संकाय के 2 छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए । इसके अलावा सुश्री मेघा मिश्र को एम टेक में सर्वोच्च अंकों से उपाधि प्राप्त करने पर चांसलर गोल्ड मेडल प्रदान किया। कुलपति द्वारा अभियांत्रिकी संकाय के विद्यार्थी शुभम झा को अपने पिता की स्मृति में ‘‘श्री फूल सिंह राठौड़ मेमोरियल स्वर्ण पदक‘‘ सहित कुल 38 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। दीक्षांत समारोह में प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय की पी.एच.डी. छात्रा स्व. शिवानी जौहरी को मरणोपरांत इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की गई।
समारोह में सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अमेरिका सिंह, विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सारंगदेवोत, कई पूर्व कुलपति, एडीएम सिटी अशोक कुमार सहित अन्य जिला अधिकारी, प्रबंध मंडल के सदस्य, राज्यपाल के एडीसी, गणमान्य नागरिक, अभिभावक उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ। मंगलवार 21 दिसंबर को माननीय राज्यपाल महोदय स्मार्ट विलेज मदार का दौरा करेंगे। वे वहां कृषि प्रदर्शनी एवं सौर वृक्ष का अवलोकन करेंगे और किसानों से वार्ता भी करेंगे।

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