अरावली की वादियों में बिखर रहा है बरना ट्री का सौंदर्य

उदयपुर। समृद्ध जैव विविधता वाले मेवाड़ अंचल में छितराई अरावली की वादियों में इन दिनों पीली, सफेद और हल्की हरी आभा के साथ एक आकर्षक पेड़ सम्मोहित करता प्रतीत हो रहा है, अनूठे सौंदर्य से युक्त यह वृक्ष बरना ट्री है। समृद्ध सांस्कृतिक महत्व, विविध उपयोगों और कठोर प्रकृति के लिए सबसे अलग माने जाने वाले बरना ट्री को क्रेटविया रिलिजियोसा या गार्लिक पीयर ट्री के नाम से भी जाना जाता है। यह पेड़ भारत का मूल निवासी है और देश के विभिन्न हिस्सों में बहुतायत में पाया जाता है।  
पर्यावरणीय विषयों के जानकार इंद्रजीत माथुर बताते हैं कि बरना वृक्ष एक मध्यम आकार का पर्णपाती वृक्ष है, जिसकी औसत ऊँचाई 10 से 20 मीटर तक होती है। यह एक सीधे, बेलनाकार ट्रंक और घने पत्ते के साथ एक व्यापक मुकुट की विशेषता है। पेड़ की पत्तियाँ गहरे हरे रंग की और चमकदार होती हैं, और छाल हल्के भूरे रंग की, खुरदरी बनावट वाली होती है। बरना वृक्ष के फूल छोटे और पीले रंग के होते हैं, और ये बसंत के मौसम में गुच्छों में खिलते हैं। पेड़ एक छोटा फल पैदा करता है जो हरे रंग का होता है और इसमें कठोर, लकड़ी का खोल होता है। इसके फल में लहसुन जैसी गंध होती है, और इसलिए इस पेड़ को लहसुन नाशपाती के पेड़ के रूप में भी जाना जाता है।
पर्यावरण प्रेमी जेपी श्रीमाली व सौरभ राठौड़ के अनुसार बरना वृक्ष सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। यह हिंदू धर्म में एक पवित्र वृक्ष माना जाता है, और इसकी पत्तियों और फूलों का उपयोग विभिन्न धार्मिक समारोहों और अनुष्ठानों में किया जाता है। पेड़ अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है, और पेड़ के विभिन्न भागों का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। पेड़ की छाल पेचिश और दस्त के लिए एक उपाय के रूप में उपयोग की जाती है, जबकि फल यकृत और हृदय के लिए टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है। पेड़ की पत्तियों का उपयोग त्वचा रोगों और कीड़ों के काटने के इलाज के लिए किया जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार अपने सांस्कृतिक और औषधीय महत्व के अलावा, बरना वृक्ष के कई अन्य उपयोग हैं। पेड़ की लकड़ी कठोर और टिकाऊ होती है और इसका उपयोग फर्नीचर, कृषि उपकरण और विभिन्न घरेलू सामान बनाने के लिए किया जाता है। पेड़ की पत्तियों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है, और फलों का उपयोग पक्षियों और छोटे जानवरों के भोजन के स्रोत के रूप में किया जाता है। पेड़ का उपयोग मिट्टी के संरक्षण के लिए भी किया जाता है, और यह उस मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने के लिए जाना जाता है जिसमें यह बढ़ता है।
अपने सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के अलावा, बरना वृक्ष की पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह एक कठोर पौधा है जिसे कम पानी की आवश्यकता होती है और यह उच्च तापमान को सहन कर सकता है। यह छाया का भी एक अच्छा स्रोत है और मिट्टी के कटाव को कम करने में मदद करता है। पेड़ पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और विभिन्न पक्षियों और जानवरों के लिए आवास प्रदान करता है।
डाक टिकट भी हुआ है जारी:
क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बेहतर बनाने में मददगार इस पेड़ पर 1981 में, भारतीय डाक विभाग ने  एक डाक टिकट जारी किया, जिसमें इसके सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व पर प्रकाश डाला गया। राज्य सरकार द्वारा भी इसे दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में रखा है।

Related Posts

पंजाब के राज्यपाल कटारिया का अभिनन्दन, बोले भावी पीढ़ी को संस्कारित करना हमारी जिम्मेदारी

उदयपुर। सामाजिक संस्थान श्री महावीर युवा मंच संस्थान के तत्वावधान में उदयपुर सकल जैन समाज के 200 से अधिक संगठनों एवं उनके पदाधिकारियों ने गुलाब चंद कटारिया को पंजाब के…

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में आक्रोश फूटा

उदयपुर। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार एवं हत्या के विरोध में उदयपुर में संपूर्ण हिंदू समाज की ओर से संतो की अगुवाई में जन आक्रोश रैली निकाली…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

पिछोला झील में 6.10 फीट पानी, फतहसागर भरने वाले तालाबों में आया पानी

  • August 28, 2024
  • 10 views
पिछोला झील में 6.10 फीट पानी, फतहसागर भरने वाले तालाबों में आया पानी

राजस्थान भाजपा प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल की कार पर फेंकी स्याही

  • August 27, 2024
  • 12 views
राजस्थान भाजपा प्रदेश प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल की कार पर फेंकी स्याही

इनरव्हील क्लब दिवस ने कृष्ण महोत्सव धूमधाम से मनाया

  • August 27, 2024
  • 13 views
इनरव्हील क्लब दिवस ने कृष्ण महोत्सव धूमधाम से मनाया

जन्माष्टमी पर पालड़ी महादेव मंदिर पर लगा मेला

  • August 26, 2024
  • 11 views
जन्माष्टमी पर पालड़ी महादेव मंदिर पर लगा मेला

सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर बोले कार्यकर्ता के रुप में कार्य शुरू किया और आज भी कार्यकर्ता की भूमिका में ही

  • August 25, 2024
  • 14 views
सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर बोले कार्यकर्ता के रुप में कार्य शुरू किया और आज भी कार्यकर्ता की भूमिका में ही

इंटरव्यू : पद्मश्री ओडिसी नृत्यांगना रंजना गौहर ने कहा कला मनुष्य को अच्छा इंसान बनाती है

  • August 25, 2024
  • 11 views
इंटरव्यू : पद्मश्री ओडिसी नृत्यांगना रंजना गौहर ने कहा कला मनुष्य को अच्छा इंसान बनाती है