उदयपुर। हार्टफुलनेस संस्था द्वारा उदयपुर में आयोजित विशेष ध्यान सत्रों के तहत दूसरे दिन रविवार को सुबह 7.30 बजे तथा शाम 5.30 पर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ऑडिटोरियम में ध्यान सत्र आयोजित हुआ जहां श्रीराम चंद्र मिशन और हार्टफुलनेस संस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष व विश्व प्रसिद्ध ध्यान प्रशिक्षक कमलेश डी पटेल ‘दाजी’ Kamlesh D. Patel Daaji ने जिले के अलग-अलग हिस्सों से आए प्रतिभागियों को ध्यान का अभ्यास कराया। इस दौरान सभी करीब आधे घंटे से अधिक समय के लिए ध्यान में लीन रहे। ध्यान की विविध अवस्थाओं के बारे में जानकारी भी दी और हर व्यक्ति को इसका अभ्यास करने का आह्वान किया।
दाजी ने ध्यान सत्र के बाद प्रतिभागियों को स्व लिखित पुस्तक ‘द विस्डम ब्रिज’ भेंट की। अंत में प्रतिभागियों से सवाल लिए एवं उनका उत्तर देते हुए जिज्ञासा शांत की।
इस अवसर पर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय व जनजाति विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी, आरएसएस वारसिंह, वीसी गर्ग, जितेंद्र आंचलिया सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद, प्रबुद्धजन और अभ्यासी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आरएएस अफसर व हार्टफुलनेस प्रशिक्षक मुकेश कुमार कलाल ने किया।
संस्कारों पर कार्य करना जरूरी
दाजी ने कहा कि वर्तमान युग मे संस्कारों पर कार्य करना जरूरी है। संस्कार विहीन होने पर मनुष्य का कल्याण संभव नहीं। उन्होंने बताया कि इसी को ध्यान रखते हुए हार्टफूलनेस में क्लीनिंग पर ज्यादा जोर दिया जाता है।
खुद ने ठान लिया तो ईश्वर भी आपको बदल न सकेगा
एक अभ्यासी के सवाल के जवाब देते हुए कि हर व्यक्ति में ईश्वर विद्यमान है और वह हर किसी को सहारा देता है परंतु किसी व्यक्ति ने यदि खुद को न बदलने के लिए ठान लिया तो ईश्वर भी उसे बदल न पायेगा।
स्क्रीन टाइम कम करना जरुरी
दाजी ने कहा कि इन दिनों लोग स्मार्टफोन्स पर अपना बहुत अधिक वक्त जाया कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पतंजलि युग में उल्लेखित प्रत्याहार के बारे में बताते हुए कहा कि हमें अपनी पूरी ऊर्जा अंतःकरण की और भेजनी चाहिए जिससे हम अपने आप से ईश्वर से और कनेक्ट हो सकेंगे। दाजी ने इन दिनों मोबाइल स्क्रीन टाइम पर लोगों के समय खराब करने पर काफी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि जागृति के बाद एक्शन बहुत जरुरी है। ध्यान और उसके फायदों को समझ लेने के बाद इसका नियमित अभ्यास करने से ही फल प्राप्त होगा।
बच्चों को अच्छे संस्कार देने होंगे
दाजी से एक प्रतिभागी ने बच्चों को अनुशासित रखने को लेकर प्रश्न किया। दाजी ने कहा कि हमें अपने आप को स्व-तन्त्रित करना सीखना होगा यानी स्वयं को खुद तंत्रित एवं अनुशासित रखने का अभ्यास करना होगा। इसके अलावा शुरू से बच्चों को अच्छे संस्कार देने होंगे। बच्चों का दोस्त बनना है लेकिन अभिभावकों जागरूक भी रहना है और बच्चों से आगे रहना है। अगर बच्चों को मोबाइल का कम चलाने की सिख देते हैं तो पहले खुद भी उसका अनुसरण अभिभावकों को करना सीखना होगा।
ईश्वर का प्रेम सच्चा अनकंडीशनल लव
एक महिला ने कंडीशनल एवं अनकंडीशनल प्रेम के बारे में पूछा जिस पर दाजी ने जवाब दिया कि संसार में अनकंडीशनल प्रेम सिर्फ एक व्यक्ति का अपने ईश्वर के प्रति और एक माता का अपनी संतान के प्रति हो सकता है। दाजी ने एक अन्य प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि ध्यान का नियमित अभ्यास जरूरी है। किसी दिन अगर दिन भर काम करने के बाद दिमाग शांत नहीं होगा और आप उसे आधे घंटे शांत रखने का प्रयत्न करेंगे तो वह नहीं हो सकेगा क्योंकि आप ने ऐसा अभ्यास कभी किया ही नहीं। इसलिए नियमित अभ्यास से ध्यान की समझ विकसित होगी।अंत में दाजी ने कहा ने आप अपने साथ अन्य लोगों को भी नियमित ध्यान हेतु प्रेरित करें एवं ध्यान में कम से कम एक और मित्र को साथ लेकर जरूर आएं।