जयपुर। संसदीय कार्यमंत्री श्री शान्ति कुमार धारीवाल ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपी पुलिस निरीक्षक का मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित पुलिस निरीक्षक को अनुशासनिक अधिकारी द्वारा राज्य सेवा से 29 जनवरी 2020 से बर्खास्त किया गया था और अभी तक राज्य सेवा में वापस नहीं लिया गया है।
श्री धारीवाल प्रश्नकाल में विधायक श्री भरत सिंह कुन्दनपुर के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में पैरा संख्या 180 पर राज्य सरकार द्वारा जो घोषणा की गई थी वो जीरो टॉलरेन्स के बाबत थी। उन्होंने बताया कि पुलिस निरीक्षक एवं अन्य के विरूद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गये अभियोग संख्या 293/2014 में अनुसंधान से आरोप प्रमाणित पाये जाने पर इनके विरूद्ध न्यायालय में 22 नवम्बर 2016 को चालान प्रस्तुत किया जा चुका है। वर्तमान में प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।
श्री धारीवाल ने बताया कि पुलिस निरीक्षक का आचरण एक लोकसेवक की अपेक्षा में अनुपयुक्त एवं अशोभनीय पाये जाने पर उन्हें अनुशासनिक अधिकारी द्वारा राज्य सेवा से दिनांक 29 जनवरी 2020 से बर्खास्त किया गया था। इस आदेश के विरूद्ध निरीक्षक द्वारा राजस्थान सिविल सेवायें (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 23 के अन्तर्गत अपीलाधिकारी (गृहविभाग) को अपील प्रस्तुत किये जाने पर अपीलाधिकारी द्वारा अपीलार्थी की अपील को स्वीकार किया जाकर अनुशासनिक अधिकारी द्वारा दिये गये दण्ड आदेश 29 जनवरी 2020 को आदेश 30 दिसम्बर 2020 द्वारा अपास्त किया गया।
उन्होंने बताया कि अनुशासनिक अधिकारी द्वारा पुलिस निरीक्षक को राज्य सेवा में वापस नहीं लिया गया है तथा इस अपीलादेश के विरूद्ध वर्तमान में राजस्थान सिविल सेवायें (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 34 के अन्तर्गत राज्यपाल के समक्ष पुनर्विलोकन याचिका प्रस्तुत की गई है जो विचाराधीन है।