उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी अध्यक्ष डॉ दुलाराम सहारण ने अकादमी की मासिक पत्रिका ‘मधुमती’ को बेहतर करने, विभिन्न विधाओं की रचनाओं से इसे अधिक समावेशी बनाने, नवोदित लेखकों की रचनाओं के लिए 25 प्रतिशत स्थान आवश्यक रूप से आरक्षित रखने एवं कलेवर को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रति अंक में 75 फीसदी प्रांत के ही लेखकों को स्थान देने पर चर्चा की गई।
डॉ सहारण बुधवार को मीरां भवन अकादमी कार्यालय में मधुमती सलाहकार समिति की बैठक लेकर समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सरस्वती सभा की बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार मधुमती पत्रिका के आकार में वृद्धि की गई। इसके अलावा हर माह की 25-26 तारीख को अगले माह की मधुमती पाठकों के लिए भेज दी जाएगी। उन्होंने बताया कि सरस्वती सभा के निर्णयानुसार अप्रैल से आबू रोड निवासी डॉ दिनेश चारण बतौर संपादक मधुमती का कामकाज देखेंगे।
डॉ सहारण ने बताया कि कई स्थानों से मधुमती डाक के माध्यम से समय पर नहीं प्राप्त होने की शिकायतें आ रही थी जिसका समाधान करते हुए अब रजिस्टर्ड डाक द्वारा मधुमती प्राप्त करने का विकल्प सदस्यों को दिया जाएगा जिसके माध्यम से स्वैच्छिक रूप से इस विकल्प का चयन कर अतिरिक्त शुक्ल का भुगतान कर रजिस्टर्ड डाक द्वारा मधुमती प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा बैठक में चर्चा कर आने वाले आलेखों के चयन में गुणवत्ता एवं मानकों का ध्यान रखने, समय पर पत्रिका तैयार कर प्रकाशन हेतु भेजने एवं इसे बेहतर करने हेतु नवाचारों पर भी निर्णय हुआ।
डॉ सहारण ने नए संपादक डॉ चारण से मधुमती को लेकर विस्तार से चर्चा की और उम्मीद की कि अकादमी ने जो भरोसा व्यक्त किया है, उस पर वे खरे उतरेंगे। मधुमती सलाहकार समिति बैठक में सचिव डॉ बसंत सिंह सोलंकी, नए संपादक डॉ दिनेश चारण, समिति एवं संचालिका सभा सदस्य टी सी डामोर, किशन दधीच, प्रवेश परदेशी, सरस्वती सभा सदस्य डॉ हेमेन्द्र चंडालिया, डॉ मंजु चतुर्वेदी, मधुमती संपादन से जुड़े रहे डॉ कुंदन माली, डॉ. हुसैनी बोहरा, भाषाविद डॉ करुणा दशोरा उपस्थित रहे, वहीं जूम एप्प से संचालिका एव समिति सदस्य उम्मेदसिंह गोठवाल भी जुड़े। मधुमती के प्रबंध सहायक राजेश मेहता, रामदयाल मेहरा ने भी अपनी राय समिति के सामने रखी।