उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्यपूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में रविवार को विशेष चातुर्मासिक मांगलिक प्रवचन हुए।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहा कि साधु और श्रावक शासन के महत्त्वपूर्ण अंग है। जिस दिन साधु और श्रावक नहीं रहेंगे, उस दिन शासन भी नहीं रहेगा। परमात्मा का शासन साधु और श्रावक दोनों से ही चलता है।
भगवान महावीर को केवलज्ञान प्राप्त हुआ तब देवताओं द्वारा समवसरण की रचना की गई, परमात्मा ने देशना प्रारंभ भी की परन्तु शासन की स्थापना नहीं की – क्यों ? क्योंकि वहां ऐसा कोई जीन उपस्थित नहीं था जिसके अंदर धर्म के परिणाम जागृत हो सके। आज बहुत से लोग कहते हैं कि साधर्मिक धनवान होंगे तो शासन चलेगा “परन्तु ज्ञानी कहते हैं कि “साधर्मिक धर्मी होंगे तो शासन चलेगा। एक बात हमें पक्की समझ लेनी है कि धर्म के बिना शासन नहीं चल सकता।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।