उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टाधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास आयड़ तीर्थ में शनिवार को कलश स्थापना के साथ शुरु होंगे।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि चातुर्मास काल के दौरान दौरान प्रतिदिन जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन होगें। शनिवार से बीस विहरमान तप शुरु होगा जो 40 दिन तक चलेगा। जिसमें 20 उपवास व 20 बियासने होंगे। आचार्य संघ के सान्निध्य में प्रतिदिन ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की जाएगी। चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन होंगे वहीं प्रत्येक रविवार को सुबह 9.30 से 11 बजे तक अलग-अलग करन्ट विषयों पर आचार्य का जाहिर प्रवचन होंगे।
महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि शुक्रवार को आत्म वल्लभ सभागार में आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने प्रवचन में कहां कि किं मूलं धम्मे” धर्म का मूल क्या है यह प्रश्न परमात्मा महावीर से थावच्चा पूत्र ने पूछा – परमात्मा ने फरमाया कि “विनय मूले धम्मो” विनय ही धर्म का मूल है। सभी गुण विनय के अधीन है, यदि तुमने विनय को पा लिया है तो समस्त गुण पा लिये। विनय तो अंक है बाकी सब शून्य है। शून्य की अंक के बिना कोई किंमत नहीं। सद्गुणों के खजाने की यदि कोई चाबी है तो वह है विनय । आगे उन्होंने बताया कि ज्ञान पथ पर बढऩे के लिए पहला कदम विनय ही है। क्योंकि विनम्रता के बिना पात्र नही बन सकते। विनम्रता के बिना कुछ पा नही सकते। हमारे जीवन में विनय, नमुता आयेगी तभी हम अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते है।