उदयपुर। उदयपुर के ख्यात पत्रकार बहादुर सिंह सरुपरिया के एक बेटे ने जो काम किया उसकी सब जगह वाहवाही हुई। असल में बहादुर सिंह सरूपरिया वे पत्रकार थे जिनकी उस जमाने में तूती बोलती थी।
उनके एक बेटे हर्षमित्र सरूपरिया जिनको प्यार से सब बंटी बुलाते है उन्होंने शुक्रवार की रात को एक नवजात की जान बचाई। गहरी नींद में सोए हर्षमित्र को जब सूचना मिली तो वे नीदं से उठकर सीधे अस्पताल चले गए और ब्लड देकर भीलवाड़ा के एक नवजात की जान बचाई।
अब आपके मन में आ रहा होगा कि ऐसी इमरजेंसी में ब्लड तो कोई भी दे सकता था लेकिन बता दे कि शुक्रवार रात को भीलवाड़ा से एक तीन दिन के नवजात को गंभीर हालत में उदयपुर के निजी चिकित्सालय में रेफर किया गया। डॉक्टरों ने नवजात की जान बचाने के लिए परिजनों से तुरंत ओ निगेटिव ब्लड के लिए कहा।
पूछताछ शुरू की और सबको जगाया लेकिन सामने आया कि यह ब्लड ग्रुप बहुत कम ही मिलता है। चिंता की लकीरे परिवारजनों के उपर थी लेकिन भगवान जो है वह सब व्यवस्था कर ही देता है और ईश्वर ने हर्षित होकर अंदर ही अंदर हर्षमित्र तक पहुंचा दिया।
रक्तदाता युवा वाहिनी के सदस्यों से संपर्क हुआ तो पता चला कि ओ निगेटिव ब्लड तो हर्षमित्र सरूपरिया का है। सरूपरिया से जैसे ही कांटेक्ट हुआ तो उन्होंने एक झटके में बोला घर से निकल रहा हूं। रात की करीब तीन बजे वे सरल ब्लड बैंक पहुंचे और नवजात के लिए रक्तदान किया और नवजात के परिजनों ने राहत की सांस ली।
अब बहादुर सिंह सरूपरिया के बारे में भी जान लीजिए
मेवाड़ के ख्यात पत्रकारों में एक नाम था बहादुर सिंह सरुपरिया का। सरूपरिया अब नहीं रहे है लेकिन उनकी यादें और काम आज भी सबको याद है। सरुपरिया ने वर्ष 1958 में जयपुर से प्रकाशित ‘गणराज्य’ से पत्रकारिता की शुरुआत की और बाद में वे उदयपुर से राजस्थान पत्रिका से जुड़ गए थे। उन्होंने उस समय पत्रकारिता में जो काम किया वह बहुत ऐतिहासिक था।
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